मुझे मेरा पहला दिन ससुराल का याद आया सुबह उठते ही सब नया लगा , माँ की जगह सास और भाइयों की जगह देवरों को पाया
घर के नियम और ससुराल के नियमों में अंतर पाया अपने आप को सँभालने में ही महीनों लग गए
मैं अपने छोटे से samrajy की महारानी हूँ , मेरे बगैर घर में कुछ भी नही होता 30 साल से मैं इसे बहुत कुशलता से संभाल कर आ रही थी , कि अचानक
कोई मेरे पीछे खड़ा महसूस किया और देखा , बहु ! एक बार तो मन में आंदोलित हो गया कोई मेरे छोटे से साम्राज्य में घुस गया हे ,फिर अपने आप को
संयमित कर के सोचने लगी ,कि मेरे जैसे ही मेरी बहु भी अपने आप को ससुराल का पहला दिन सा महसूस कर रही होगी !
में सोचने को मजबूर हुई ,कि क्या सास बहु का रिश्ता सिर्फ साम्राज्य के लिए ही लड़ना हे, अन्तर्द्वन्द के बाद मैने कहा बहु चलो हम सब के लिए
आज से तुम खाना बनाओगी,बस सुनते ही बहु कि आखों में एक चमक देखी (जो लडकियं मायके में रसोई से कोसों दूर भागती हे ) वो हिरनी क़ी तरह छ्लंगे मार
कर सारा कम कर रही थी !
खाने के साथ में सोच रही थी ,आज से मेरे साम्रज्य में एक और महारानी का पदार्पण हुआ ! मुझे लगा आज में महारानी से रानीमाँ बन गयी , यह सोच कर
दिल को एक अजीब सी तसली हुई ! और दिल हलका हो गया !
कभी ऐसा क्या औरत सोच सकती हे ?
शानदार! बहुत सुन्दर! रिश्तों और संवेदनाओं की दिल को छूने वाली रचना!!!
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-डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश'
सम्पादक-प्रेसपालिका (जयपुर से प्रकाशित पाक्षिक समाचार-पत्र) एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष-भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास) (जो दिल्ली से देश के सत्रह राज्यों में संचालित है।
इस संगठन ने आज तक किसी गैर-सदस्य, सरकार या अन्य किसी से एक पैसा भी अनुदान ग्रहण नहीं किया है। इसमें वर्तमान में ४३६६ आजीवन रजिस्टर्ड कार्यकर्ता सेवारत हैं।)। फोन : ०१४१-२२२२२२५ (सायं : ७ से ८) मो. ०९८२८५-०२६६६
महारानी से रानीमाँ -बहुत अच्छी सोच. यही होना चाहिये तो कोई द्वन्द ही न हो सास बहु में अस्तित्व के बोध को लेकर-बधाई.
ReplyDeleteअगर ऐसा औरत सोचने लगे तो राम राज्य आ जाये……………किसी घर मे कलह के बादल ना मंडरायें ………………हर घर मे सिर्फ़ अस्तित्व कि ही तो लडाई है……………सिर्फ़ इतना समझ ले तो सच मे हर घर ,घर बन जाये।
ReplyDeleteइस नए सुंदर से चिट्ठे के साथ आपका हिंदी ब्लॉग जगत में स्वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!
ReplyDeleteहिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
ReplyDeleteकृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देनें का कष्ट करें
बधाई हो आपकी सोच तो बहुत ही सुलझी हुई है.
ReplyDeleteयदि आपकी ही तरह से सभी सास और बहुएं सोचने लगें तो फिर सास-बहू के झगडे ही न हों. माँ-बेटे में बहू को लेकर फूट ही न पड़े.
बहुत-बहुत शुभकामनायें रानी माँ होने पर. :-)
वाह क्या सुन्दर सोच है, राम करे सभी औरतों ( आदमियों में भी) यह सोच विस्तार करे.
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद दोस्तों अब मैं फिर से आप लोगों को बीच आने वाला हूं मेरी यात्रा नाम से,
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